Monday 20 January 2014

भागे जिम्मेदार, अराजक दीखे भारत-

भारत का भुरता बना, खाया खूब अघाय |
भरुवा अब तलने लगे, सत्तारी सौताय |

सत्तारी सौताय, दलाली दूजा खाये |
आम आदमी बोल, बोल करके उकसाए |

इज्जत रहा उतार, कभी जन-गण धिक्कारत  |
भागे जिम्मेदार, अराजक दीखे भारत ||


अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग-

अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग |
रविकर सर पर पैर रख, भाग सके तो भाग |

भाग सके तो भाग, जमुन-जल नाग-कालिया |
लिया दिया ना बाल, बटोरे किन्तु तालियां |

दिखे अराजक घोर, काहिरा जैसा जंतर |
होवे ढोर बटोर, आप में कैसा अंतर || 

Sunday 19 January 2014

दारु दाराधीन पी, हुआ नदारद मर्द-


"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-34

दोहा

दारु दाराधीन पी, हुआ नदारद मर्द  |
दारा दारमदार ले, मर्दे गिट्टी गर्द ||

कंकरेत कंकर रहित, काष्ठ विहीन कुदाल |
बिन भार्या के भवन सम, मन में सदा मलाल ||

अड़ा खड़ा मुखड़ा जड़ा, उखड़ा धड़ा मलीन |
लीन कर्म में उद्यमी, कभी दिखे ना दीन ||

*कृतिकर-शेखी शैल सी, सज्जन-पथ अवरुद्ध |
करे कोटिश: गिट्टियां, हो *षोडशभुज क्रुद्ध ||

दाराधीन=स्त्री के वशीभूत
कृतिकर=बीस भुजा वाला


षोडशभुज=सोलह भुजाओं वाली

*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ-


चिंदी-चिंदी तन-बदन, पांच मरे इक साथ । 
*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ ॥ 
*अजगर 

हिंदी हुई अनाथ, असम-पथ ऊबड़-खाबड़ । 
है सत्ता कमजोर, धूर्त आतंकी धाकड़ । 

हिंदी-भाषी पाय, बना माथे पर बिंदी । 
अपने रहे निकाल, यहाँ हिंदी की चिंदी ।।  

Friday 17 January 2014

सपने नयनों में पले, वाणी में अरदास-

सपने नयनों में पले, वाणी में अरदास |
बुद्धि बनाये योजना, करे कर्म तनु ख़ास |

करे कर्म तनु ख़ास, पूर्ण विश्वास भरा हो |
शत-प्रतिशत उद्योग, भाग्य को तनिक सराहो |

पाय सफलता व्यक्ति, लक्ष्य पा जाये अपने |
रविकर इच्छा-शक्ति, पूर्ण कर देती सपने ||

Thursday 16 January 2014

बन्दर की औकात, बताता नया खुलासा-

लासा मंजर में लगा, आह आम अरमान |
मौसम दे देता दगा, है बसन्त हैरान |

है बसन्त हैरान, कोयलें रोज लुटी हैं |
गिरगिटान मुस्कान, लोमड़ी बड़ी घुटी है |

गीदड़ की बारात, दिखाता सिंह तमाशा |
बन्दर की औकात, बताता नया खुलासा ||

आये सज्जन वृन्द, किन्तु लुट जाती मुनिया-

भन्नाता बिन्नी दिखा, सुस्ताता अरविन्द |
उकसाता योगेन्द जब, उकताता यह हिन्द |

उकताता यह हिन्द, मुफ्तखोरों की दुनिया |
आये सज्जन वृन्द, किन्तु लुट जाती मुनिया |

दीन-हीन सरकार, विपक्षी है चौकन्ना |
टपकाए नित लार, जाय रविकर जी भन्ना ||

Tuesday 14 January 2014

भावी रहे सुधार, शहर ला दादा-दादी-

खिले खिले बच्चे मिले, रहे खिलखिला रोज । 
बुझे-बुझे माँ-बाप पर, रहे मदर'सा खोज । 

रहे मदरसा खोज, घूस की दुनिया आदी। 
भावी रहे सुधार, शहर ला दादा-दादी। 

पैतृक घर दे बेंच, आय उपयुक्त राशि ले ।  
करे सुरक्षित सीट, आज यूँ मिलें दाखिले ॥ 

Monday 13 January 2014

रविकर ले हित-साध, आप मत डर खतरे से-

खतरे से खिलवाड़ पर, कारण दिखे अनेक |
थूक थूक कर चाटना, घुटने देना टेक |

घुटने देना टेक, अगर हो जाए हमला |
होवे आप शहीद, जुबाँ पर जालिम जुमला |

भाजप का अपराध, उसी पर कालिख लेसे |
रविकर ले हित-साध, आप मत डर खतरे से ||

Saturday 11 January 2014

है चोटी में खोट, करे चिंता क्यूँ भारत-


भारत बांगला-देश में, बहुत बड़ा है फर्क |
यहाँ स्वर्ग इनके लिए, वहाँ बनाया नर्क |

वहाँ बनाया नर्क, अल्पसंख्यक आबादी |
करते नहीं कुतर्क, यहाँ हैं अम्मा दादी |

कई नरक से भाग, हजारों स्वर्ग-सिधारत |
है चोटी में खोट, करे चिंता क्यूँ भारत ||

चुनावों के बाद बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यको पर
लगातार हमले हो रहे हैं लेकिन इससे सेक्युलर
मीडिया को कोई फर्क नहीं पड़ता ।

Friday 10 January 2014

जाय भाड़ में देश, भाड़ में जाए दिल्ली-

मुफ़्तखोर है इस देश कि जनता

ZEAL 
 ZEAL
दिल्ली की सरकार में, पी एम् केजरिवाल |
गृहमंत्री भूषण बने, ले कश्मीर सँभाल |

ले कश्मीर सँभाल, जैन की क्रान्ति गुलाबी |
राखी का कल्याण, गला बच्चे का दाबी |

जुड़े आप से लोग, तोड़ती छींका बिल्ली |
जाय भाड़ में देश, भाड़ में जाए दिल्ली ||


(1)
लोकसभा में आपकी, आई सीट पचास |
लगे पलीता ख़्वाब में, टूटे भाजप आस |

टूटे भाजप आस, विपक्षी मौका ताड़े |
आप छुवे आकास, खेल मोदी का भाड़े |

माना अनुभवहीन, मीडिया लेकिन थामे |
कर दे सत्तासीन, त्रिशंकुल लोकसभा में ||

09 DECEMBER, 2013


कुंडलियां 

लेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |

मानो सीट पचास,  इलेक्शन होय दुबारे |
करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |

अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||

Wednesday 8 January 2014

पड़े शीत की मार, आप ही मालिक मेरे-


रैन बसेरे में बसे, मिले नहीं पर आप |
आम मिला इमली मिली, रहे अभी तक काँप |

रहे अभी तक काँप, रात थी बड़ी भयानक |
होते वायदे झूठ, गलत लिख गया कथानक |

पड़े शीत की मार, आप ही मालिक मेरे  |
तनिक दीजिये ध्यान, सुधारें रैन बसेरे ||

रविकर लंगड़ी मार, ख़िलाड़ी नहीं गिराओ -

कुछ पॉलिटिकल  
(१)
आओ जब मैदान में, समझ बूझ हालात |
मजे मजे मजमा जमे, जमघट जबर जमात |
जमघट जबर जमात, आप करिये तैयारी |
क़ाबलियत कर सिद्ध,  निभाओ जिम्मेदारी |
रविकर लंगड़ी मार, ख़िलाड़ी नहीं गिराओ |
अहंकार व्यवहार, बाज बड़बोले आओ ||

(२)
बहना बह ना भाव में, हवा बहे प्रतिकूल |
दिग्गज अपने दाँव में, दिखे झोंकते धूल |
दिखे झोंकते धूल, आँख में भरकर पानी |
तोड़े कई उसूल, किये अब तक मनमानी |
ले राहुल आलम्ब, सदा सत्ता में रहना |
दिखलाते नित दम्भ, संभलना छोटी बहना -

Friday 3 January 2014

परिवर्तन का दौर, काल की घूमी चकरी-

फरी फरी मारा किया, घरी घरी हड़काय । 
मरी मरी जनता रही, दपु-दबंग मुस्काय । 

दपु-दबंग मुस्काय, साधु को रहा सालता। 
लेकिन लगती हाय, साल यह बला टालता । 

परिवर्तन का दौर, काल की घूमी चकरी । 
अब जनता सिरमौर, कालिका जमकर बिफरी ॥