Wednesday, 8 January 2014
पड़े शीत की मार, आप ही मालिक मेरे-
2
3
4
5
6
7
ठंड से ठिठुरती दिल्ली
रैन बसेरे में बसे, मिले नहीं पर आप |
आम मिला इमली मिली, रहे अभी तक काँप |
रहे अभी तक काँप, रात थी बड़ी भयानक |
होते वायदे झूठ, गलत लिख गया कथानक |
पड़े शीत की मार
, आप ही मालिक मेरे |
तनिक दीजिये ध्यान
, सुधारें रैन बसेरे ||
2 comments:
कालीपद "प्रसाद"
8 January 2014 at 22:38
बहुत खूब ! जरा ध्यान दीजिये आप का मालिक |
नई पोस्ट
सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट
लघु कथा
Reply
Delete
Replies
Reply
सुशील कुमार जोशी
9 January 2014 at 01:54
वाह !
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूब ! जरा ध्यान दीजिये आप का मालिक |
ReplyDeleteनई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा
वाह !
ReplyDelete