Tuesday, 15 March 2016

कटवाई थी मूँछ, मात्र दाढ़ी उगवाया

(1)
भैया यदि अनभिज्ञ हो, पुरखों से लो पूछ |
गर्दन पर धर छूरिका, कटवाई थी मूँछ |

कटवाई थी मूँछ, मात्र दाढ़ी उगवाया |
शान दिखा मत छूछ, धर्म दूजा अपनाया |

पुरखे तो हैं एक, एक ही धरती मैया |
निर्भय हो जय बोल, सदा भारत की भैया ||

(2)
गर्दन पर चाक़ू रखो, चाहे रखो कटार |
भारत माता की नहीं, करनी जयजयकार |
करनी जय-जयकार, बड़ा साम्प्रदायिक नारा |
जन-गण-मन पर रार, लगे गंगा जल खारा |
हिन्दू पुरखे भीरु, बने थे मुस्लिम कट्टर |
इस्लामी तलवार, सटाई जब गर्दन पर ||

2 comments: