Monday, 24 October 2016
किन्तु मार के लात, रुलाती अब औलादें-
लादें औलादें सतत, मातायें नौ माह।
लात मारती पेट में, फिर भी हर्ष अथाह।
फिर भी हर्ष अथाह, पुत्र अब पढ़ने जाये।
पेट काट के बाप, उसे नौकरी दिलाये।
पुन: वही हालात, बची हैं केवल यादें।
किन्तु मार के लात, रुलाती अब औलादें।।
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
24 October 2016 at 04:46
सत्य है ।
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सत्य है ।
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