मंशा मनसूबे सही, लेकिन गलत बयान |
सूबे में दंगे थमे, खुलती पाक दुकान |
खुलती पाक दुकान, सजा दे मंदिर मस्जिद |
लेती माल खरीद, कई सरकारें संविद |
नीर क्षीर अविवेक, बने जब कौआ हंसा |
रहे गधे अब रेक, जगाना इनकी मंशा ||
मंशा पर करते खड़े, क्यूँ आयोग सवाल ।
भल-मन-साहत देखिये, देख लीजिये चाल ।
देख लीजिये चाल, मिले शाबाशी पुत्तर ।
होता मुन्ना पास,चार पन्ने का उत्तर ।
पुन: मुज्जफ्फर नगर, करूँ क्यूँकर अनुशंसा ।
उधर इरादा पाक, इधर इनकी जो मंशा ॥
बहुत सुंदर ! आ.रविकर जी.
ReplyDeleteवाह अति सुंदर !
ReplyDeleteसदैव की भाँति सुन्दर अभिव्यक्ति। आभार।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (10-11-2013) को सत्यमेव जयते’" (चर्चामंच : चर्चा अंक : 1425) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह ! बहुत खूब !
ReplyDeleteअति सुन्दर ,वाह !
ReplyDeleteनई पोस्ट काम अधुरा है
सुन्दर प्रस्तुति
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ReplyDeleteमीठे कटाक्ष,मगर तीखे भी.
बहुत खूब...
ReplyDeleteखुलती पाक दुकान, सजा दे मंदिर मस्जिद |
ReplyDeleteलेती माल खरीद, कई सरकारें संविद |
चलती खूब दूकान यहाँ पर ,आतंकी हैं ढ़ेर
नेताओं से हो रही दिनोरात देखो अब मुठभेड़ .
खुलती पाक दुकान, सजा दे मंदिर मस्जिद |
ReplyDeleteलेती माल खरीद, कई सरकारें संविद |
चलती खूब दूकान यहाँ पर ,आतंकी हैं ढ़ेर
नेताओं से हो रही दिनोरात देखो अब मुठभेड़ .
सूबे में दंगे थमे, खुलती पाक दुकान -
मंशा मनसूबे सही, लेकिन गलत बयान |
सूबे में दंगे थमे, खुलती पाक दुकान |
खुलती पाक दुकान, सजा दे मंदिर मस्जिद |
लेती माल खरीद, कई सरकारें संविद |
नीर क्षीर अविवेक, बने जब कौआ हंसा |
रहे गधे अब रेक, जगाना इनकी मंशा...
रविकर की कुण्डलियाँ