शराफ़त का ज़माना रहा ही कहां रविकर जी
सच है ... शराफत का समय नहीं है अब ...
रिश्ते में दुर्गन्ध, लाश भी तू ही रख ले ||सब व्यथा बयाँ कर दी ... आपने इस एक लाइन में !शुभ्कम्नायेंब!
बदले अब सम्बन्ध, ले चुकी सौ सौ बदले |रिश्ते में दुर्गन्ध, लाश भी तू ही रख ले |......बहोत प्रभावशाली !!!!!
गजब !
सार्थक अभिव्यक्ति ! आभार रविकर जी। धन्यवाद।
शराफ़त का ज़माना रहा ही कहां रविकर जी
ReplyDeleteसच है ... शराफत का समय नहीं है अब ...
ReplyDeleteरिश्ते में दुर्गन्ध, लाश भी तू ही रख ले ||
ReplyDeleteसब व्यथा बयाँ कर दी ... आपने इस एक लाइन में !
शुभ्कम्नायेंब!
बदले अब सम्बन्ध, ले चुकी सौ सौ बदले |
ReplyDeleteरिश्ते में दुर्गन्ध, लाश भी तू ही रख ले |
......बहोत प्रभावशाली !!!!!
गजब !
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति ! आभार रविकर जी। धन्यवाद।
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