Friday, 29 November 2013

टाल खरीद फरोख्त, करो दिल्ली की रच्छा-


हमने तो भोट डाल दिया आज ही 

अच्छा है यह फैसला, टाला सदन त्रिशंकु |
आप छोड़ते आप को, पैर पड़े नहीं पंकु |

पैर पड़े नहीं पंकु, हाथ का साथ निभाया |
दो बैलों का जोड़, लौट के घर को आया |

टाल खरीद फरोख्त, करो दिल्ली की रच्छा |
पाये बहुमत पूर्ण, यही तो सबसे अच्छा ||

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (01-112-2013) को "निर्विकार होना ही पड़ता है" (चर्चा मंचःअंक 1448)
    पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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