Wednesday, 13 November 2013

छड पी एम दा ख़्वाब, अरे हलवाई हरिया-

जरिया रोटी का अगर, होवे चाय दुकान |
सदा बेचिए चाय ही, कर देना मत-दान |

कर देना मत-दान, नहीं नेता बन सकता |
बैठ जलेबी छान, कहाँ तू अलबल बकता |

छड पी एम दा ख़्वाब, अरे हलवाई हरिया ||
यस पी नेता तंग, कहे है तंग नजरिया |

3 comments:

  1. तंग नजरिया ही तो सारी मुसीबतों की जड़ है...

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  2. हाय ये तंग नजरिया.

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