Wednesday, 13 November 2013
छड पी एम दा ख़्वाब, अरे हलवाई हरिया-
जरिया रोटी का अगर, होवे चाय दुकान |
सदा बेचिए चाय ही, कर देना मत-दान |
कर देना मत-दान, नहीं नेता बन सकता |
बैठ जलेबी छान, कहाँ तू अलबल बकता |
छड पी एम दा ख़्वाब, अरे हलवाई हरिया ||
यस पी नेता तंग, कहे है तंग नजरिया |
3 comments:
सुशील कुमार जोशी
14 November 2013 at 06:16
हा हा बहुत खूब !
Reply
Delete
Replies
Reply
Anita
14 November 2013 at 18:15
तंग नजरिया ही तो सारी मुसीबतों की जड़ है...
Reply
Delete
Replies
Reply
Asha Joglekar
15 November 2013 at 05:44
हाय ये तंग नजरिया.
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हा हा बहुत खूब !
ReplyDeleteतंग नजरिया ही तो सारी मुसीबतों की जड़ है...
ReplyDeleteहाय ये तंग नजरिया.
ReplyDelete