लगे पलीते दर्जनों, होंय सतत विस्फोट |
तक्षशिला में ढूंढते, मूर्ख आज तक खोट |
मूर्ख आज तक खोट, लड़े थे चन्द्रगुप्त-रण |
पकड़ शब्दश: तथ्य, भूल ना पाते भाषण |
कह रविकर एहसास, सभा भगदड़ बिन बीते |
भूल परिस्थित-जन्य, अगर हों लगे पलीते ||
घटनाएं जब यकबयक, होंय खड़ी मुँह फाड़ |
असमंजस में आदमी, काँप जाय दिल-हाड़ |
काँप जाय दिल-हाड़, बचाना लेकिन जीवन |
आये लाखों लोग, जहाँ सुनने को भाषण |
कर तथ्यों की बात, गलतियां ढूंढे पटना |
सह मोदी आघात, सँभाले प्रति-दुर्घटना ||
असमंजस में आदमी, काँप जाय दिल-हाड़ |
काँप जाय दिल-हाड़, बचाना लेकिन जीवन |
आये लाखों लोग, जहाँ सुनने को भाषण |
कर तथ्यों की बात, गलतियां ढूंढे पटना |
सह मोदी आघात, सँभाले प्रति-दुर्घटना ||
खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |
पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये |
बिछा पड़ा बारूद, उसी पर बैठ कबीरा |
बने नीति का ईश, जमा कर रखे जखीरा ||
Friday, 25 October 2013
*कसंग्रेस भी आज, करें दंगों का धंधा
अन्धा बन्दर बोलता, आंके बन्दर मूक |
गूंगा बन्दर पकड़ ले, हर भाषण की चूक |
हर भाषण की चूक, हूक गांधी के दिल में |
मार राख पर फूंक, लगाते लौ मंजिल में |
*कसंग्रेस भी आज, करें दंगों का धंधा |
मत दे मत-तलवार, बनेगा बन्दर अन्धा ||
* जैसा राहुल के इंदौर के कार्यक्रम के पोडियम पर लिखा था-
नक्सल आतंकी कहीं, फिर ना जायें कोप |
शान्ति-भंग रैली करे, सत्ता का आरोप |
सत्ता का आरोप, निभाता नातेदारी |
विस्फोटक पर बैठ, मस्त सरकार बिहारी |
दशकों का अभ्यास, सँभाले रक्खा भटकल |
रैली से आतंक, इलेक्शन से हैं नक्सल ||
पारा-पारी ब्लास्ट, महज छह जान गई है-
रविकर-पुंज
रविकर-पुंज
*फेलिन करता फेल जब, मनसूबे आतंक |
बिना आर.डी.एक्स के, हल्का होता डंक |
हल्का होता डंक, सुपारी फेल हुई है |
पारा-पारी ब्लास्ट, महज छह जान गई है |
कृपा ईश की पाय, कहाँ फिर मोदी मरता -
आई एस आई चाल, फेल यह फेलिन करता ||
WEDNESDAY, 30 OCTOBER 2013
देता शौचालय बचा, मोदी जी की जान-
देता शौचालय बचा, मोदी जी की जान |
अभी अभी जो दिया था, तगड़ा बड़ा बयान |
तगड़ा बड़ा बयान, प्रथम शौचालय आये |
पीछे देवस्थान, गाँव आदर्श बनाये |
मानव-बम फट जाय, और बच जाता नेता |
शौचालय जय जयतु, बधाई रविकर देता ||
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बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteनई पोस्ट फूलों की रंगोली
नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत खूब उम्दा !
ReplyDeleteलौह-पुरुष तब बाप, आज अडवाणी बोले-
ReplyDelete) कम्युनल नेहरू कहें, जब निजाम-संताप |
रिश्ते में लगने लगे, लौह-पुरुष तब बाप...
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कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला-
अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |
होगा बंटाधार, खेल फिर झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा...
रविकर की कुण्डलियाँ
कौन है सेकुलर कौन है कम्युनल, रविकर खोले पोल ,
पटेल बस सरदार था ,बात कहे सब खोल।
बात पते की बोल ,....... दिखावे रोज़ तमाशे
लगे पलीते दर्जनों, होंय सतत विस्फोट |
ReplyDeleteतक्षशिला में ढूंढते, मूर्ख आज तक खोट |
अति सुन्दर .