अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |
होगा बंटाधार, खेल फिर झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा |
बाढ़े भ्रष्टाचार, प्रशासन फिर से ढीला |
कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला |
अर = जिद
सीला =गीला / सीलन
अरसीला = आलसी
TUESDAY, 30 JULY 2013
खिलें इसी में कमल, आँख का पानी, कीचड़
कीचड़ कितना चिपचिपा, चिपके चिपके चक्षु |
चर्म-चक्षु से गाय भी, दीखे उन्हें तरक्षु |
दीखे जिन्हें तरक्षु, व्यर्थ का भय फैलाता |
बने धर्म निरपेक्ष, धर्म की खाता-गाता |
कर ले कीचड़ साफ़, अन्यथा पापी-लीचड़ |
खिलें इसी में कमल, आँख का पानी, कीचड़ |
चर्म-चक्षु=स्थूल दृष्टि
तरक्षु=लकडबग्घा
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कमल खिलेंगे बहुत पर, राहु-केतु हैं बंकु |
चौदह के चौपाल की, है उम्मीद त्रिशंकु | है उम्मीद त्रिशंकु, भानुमति खोल पिटारा | करे रोज इफ्तार, धर्म-निरपेक्षी नारा | ले "मकार" को साध, कुशासन फिर से देंगे | कीचड़ तो तैयार, कमल पर कहाँ खिलेंगे ??
*Minority
*Muthuvel-Karunanidhi
*Mulaayam
*Maayaa
*Mamta
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सुंदर प्रस्तुति आदरणीय |
ReplyDeleteराजनीतिक माहौल को बयाँ करती पठनीय पंक्तियाँ..
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