झूठे *दो दो चोंच हों, दिखे चोंचलेबाज |
बाज कबूतर से लड़े, फिर भी नखरे नाज |
*कहासुनी
फिर भी नखरे नाज, नहीं पंजे को अखरे |
जन का बहता रक्त, देख कर हँसे मसखरे |
है चुनाव कि रीति, दीखते रूठे रूठे |
चट्टे बट्टे एक, दाँव दे जाते झूठे ||
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteउत्तम रचना सुन्दर भाव
ReplyDeleteसुंदर कुण्डलियाँ !
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