क्या फक्फेना फाहब, फ़ेंचुरी तो हो जाने देते - ब्लॉग
बुलेटिन
सेनापति तुम हास्य के, व्यंग अंग प्रत्यंग |
लखनौवा तहजीब के, जीवित मल्ल- मलंग |
जीवित मल्ल- मलंग, अमीना हजरत बदले |
बदले बदले रंग, ढंग पर पश्चिम लद ले |
हुआ बड़ा बदलाव, नहीं अब ठेना देना |
हवा बदलने स्वर्ग, चले के पी सक्सेना ||
विनम्र श्रद्धांजलि...
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि.
ReplyDeleteश्रेष्ठ हास्य कवि को विनम्र हार्दिक श्रद्धांजलि
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
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