Sunday, 24 November 2013

अबला कहो जरूर, किन्तु रस्ता मत रोको-

रखिये तेज सहेजकर, खुराफात से दूर |
लोकपाल का गर्व भी, हो सकता है चूर |

हो सकता है चूर, घूर मत कन्याओं को |
अबला कहो जरूर, किन्तु रस्ता मत रोको |

किया कालिका क्रुद्ध, मजा करनी का चखिए |
लड़ो स्वयं से युद्ध,, स्वयं दुष्कृत्य परखिये || 


जमाली चाय दे स्वर्गिक आनंद का अहसास Best Herbal Tea

DR. ANWER JAMAL 









माली हालत देश की, होती जाय खराब |
आधी आबादी दुखी, आधी पिए शराब |

आधी पिए शराब, भुला दुःख अद्धा देता |
चारित्रिक अघ-पतन, गला अपनों का रेता |

रविकर कम्बल ओढ़, पिए नित घी की प्याली |
सुरा चाय पय छोड़, छोड़ता चाय जमाली || 

यौन उत्पीड़न किसे कहते हैं?

DR. ANWER JAMAL 






(1)
आगे मुश्किल समय है, भाग सके तो भाग |
नहीं कोठरी में रखें, साथ फूस के आग |

साथ फूस के आग, जागते रहना बन्दे |
हुई अगर जो चूक, झेल क़ानूनी फंदे |

जिनका किया शिकार, आज वे सारे जागे |
मिला जिन्हें था लाभ, नहीं वे आयें आगे ||


बंगारू कि आत्मा, होती आज प्रसन्न |
सन्न तहलका दीखता, झटका करे विपन्न |

झटका करे विपन्न, सताया है कितनों को |
लगी उन्हीं कि हाय, हाय अब माथा ठोको |

गोया गोवा तेज, चढ़ी थी जालिम दारू |
रंग दे डर्टी पेज, देखते हैं बंगारू || 

यौनोत्पीड़न के लिए, कुर्सी छोड़े आप |

कुर्सी छोड़े आप, मात्र छह महिना काहे |
सहकर्मी चुपचाप, बॉस जो उसका चाहे |

लेता आज संभाल, देख लेता कल कल का |
तरुण तेज ले पाल, सेक्स से मचे तहलका || 

दो मंत्रालय दो बना, रेप और आतंक |


दो मंत्रालय दो बना, रेप और आतंक |  
निबट सके जो ठीक से, राजा हो या रंक |

राजा हो या रंक, बढ़ी कितनी घटनाएं-
जब तब मारे डंक, इन्हें जल्दी निबटाएं |

तंतु तंतु में *तोड़, बड़े संकट में तन्त्रा |
कैसे रक्षण होय, देव कुछ दे दो मन्त्रा -

कुछ से हमको कुछ से तुमको, हमदर्दी यह घातक है |
सत्य सत्य सा नहीं ताकता, ऐसा दृष्टा पातक है |
अपनों में जो खोट दिखी तो, नजर उधर से फेर लिया-
गैरों का गिरेबान पकड़ ले, वही ब्लॉग पर स्नातक है  ||

"तेजपाल का तेज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 









मिटटी करे पलीद अब, यही तरुण का तेज |

गलत ख्याल वो पाल के, छोड़े अपनी मेज |


छोड़े अपनी मेज, झुकाई कीर्ति पताका |
करता नहीं गुरेज, बना फिरता है आका |

करती महिला केस, हुई गुम सिट्टी पिट्टी |

सोमा ज्यादा तेज,  दोष पर डाले मिटटी ||

4 comments:

  1. बहुत सार्थक और उचित संकलन। मौजूदा हालात के मद्देनजर बहुत ही सार्थक रचना

    ReplyDelete
  2. उम्दा चयन सुंदर प्रस्तुति !

    ReplyDelete
  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार २६/११/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर और सटीक !
    (नवम्बर 18 से नागपुर प्रवास में था , अत: ब्लॉग पर पहुँच नहीं पाया ! कोशिश करूँगा अब अधिक से अधिक ब्लॉग पर पहुंचूं और काव्य-सुधा का पान करूँ | )
    नई पोस्ट तुम

    ReplyDelete