हथेली में तिनका छूटने का अहसास
समय की मृत्यु
यादें सुखद अतीत की, उज्जवल दिखे भविष्य |
वर्त्तमान की क्या कहें, भटके चंचल *ऋष्य |
भटके चंचल *ऋष्य, दृश्य दिखता है मारक |
थामे विशिख कराल, खड़ा सम्मुख संहारक |
यह रहस्य है गूढ़, तवज्जो इनपर ना दे |
वर्त्तमान को बूझ, याद रख बढ़िया यादें-
*विशेष मृग
समय की मृत्यु
संतरी, पीले, भूरे, लाल रंग से सजा क्षितिज |
यादें सुखद अतीत की, उज्जवल दिखे भविष्य |
वर्त्तमान की क्या कहें, भटके चंचल *ऋष्य |
भटके चंचल *ऋष्य, दृश्य दिखता है मारक |
थामे विशिख कराल, खड़ा सम्मुख संहारक |
यह रहस्य है गूढ़, तवज्जो इनपर ना दे |
वर्त्तमान को बूझ, याद रख बढ़िया यादें-
*विशेष मृग
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (02-112-2013) को "कुछ तो मजबूरी होगी" (चर्चा मंचःअंक-1449)
पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'