काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन |
सहमत हम सब मतलबी, प्यासे कब से नैन |
प्यासे कब से नैन, सात सौ लीटर पानी |
गै पानी मा भैंस, शर्त की की नादानी |
सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना |
पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना |
डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी-
टोपी बिन पहचान में, नहीं आ रहे आप |
लगे अवांछित आम जन, अपना रस्ता नाप |
अपना रस्ता नाप, शाप है धरती माँ का |
बको अनाप-शनाप, भिड़ेगा तब ही टाँका |
चतुर करेगा राज, होय चाहे आरोपी |
डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी ||
आप तो पीछे ही पड़ गये :)
ReplyDeleteआप तो बादशाह है
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य (भाग १)
नई पोस्ट चंदा मामा
सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना ।
ReplyDeleteपाय खुला भू-फलक, नहीं अब ‘‘आप‘‘ छकाना ।
टोपी का क्या है- कभी सीधी, कभी तिरछी !
वाह! बहुत खूब....
ReplyDeleteवाह, बेहतरीन...........
ReplyDeleteबहुत खूब सर जी .
ReplyDeleteकाना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन |
सहमत हम सब मतलबी, प्यासे कब से नैन |
प्यासे कब से नैन, सात सौ लीटर पानी |
गै पानी मा भैंस, शर्त की की नादानी |
सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना |
पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना |