तेरह दिन की लो बना, एक वोट से हार |
दुहराये इतिहास को, पाये पुन: अपार |
पाये पुन: अपार, कमल को पाला मारे |
ताल तलैया सूख, नर्मदा आती द्वारे |
बच जाते बत्तीस, पार्टी आगे जिनकी |
वह ही जिम्मेदार, बना लो तेरह दिन की ||
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना -
लेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |
मानो सीट पचास, इलेक्शन होय दुबारे |
करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |
अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||
सही कहा है, अच्छे लोगों को मिलकर कोई रास्ता निकालना होगा...
ReplyDeleteरास्ता तो निकालना जरूरी है मिल के ...
ReplyDeleteदेश हित में निश्वार्थ समझौता किया जा सकता है
ReplyDeleteनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
बहुत सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteबिल्कुल सही.
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