Sunday, 15 December 2013

वह सोलह की रात, आज भी अक्सर कौंधे

१६ दिसम्‍बर क्रान्ति

Vikesh Badola 

कौंधे तीखे प्रश्न क्यूँ, क्यूँ कहते हो व्यर्थ |
जीवन के अपने रहे, सदा रहेंगे अर्थ |

सदा रहेंगे अर्थ, रहेगी मनुज मान्यता |
बने अन्यथा देव, यही है मित्र सत्यता |

सदाचार है शेष, अन्यथा गिरते औन्धे |
वह सोलह की रात, आज भी अक्सर कौंधे ||

3 comments:

  1. सदाचार है शेष, अन्यथा गिरते औन्धे |
    वह सोलह की रात, आज भी अक्सर कौंधे ||
    BILKUL SAHI KAHA AAPNE

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