Monday, 2 December 2013
कर लो पुनर्विचार, पुलिस नित मुंह की खाये-
पाये कटक कमान तो, ताने विशिख कराल |
भूले लेवी अपहरण, भूले नक्सल चाल |
भूले नक्सल चाल, बंद हो जाये हमला |
फिर गांधी मैदान, बनेगा नहीं कर्बला |
कर लो पुनर्विचार, पुलिस नित मुंह की खाये |
नक्सल रहा डकार, नहीं जनता जी पाये ||
3 comments:
सुशील कुमार जोशी
2 December 2013 at 05:08
वाह !
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Arun sathi
2 December 2013 at 05:41
सही चित्रण ...यही होना चाहिए ...
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Kailash Sharma
4 December 2013 at 01:20
बहुत सुन्दर...
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वाह !
ReplyDeleteसही चित्रण ...यही होना चाहिए ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
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