* घट रही है रोटियां घटती रहें---गेहूं को सड़ने दो |
* बँट रही हैं बोटियाँ बटती रहें--लोभी को लड़ने दो |
* गल रही हैं चोटियाँ गलती रहें---आरोही चढ़ने दो |
* मिट रही हैं बेटियां मिटती रहे---बेटे को पढ़ने दो |
* घुट रही है बच्चियां घुटती रहें-- बर्तन को मलने दो ||
* लग रही हैं बंदिशें लगती रहें--- दौलत को बढ़ने दो |
* पिट रही हैं गोटियाँ पिटती रहें---रानी को चलने दो |
* मिट रही हैं हसरतें मिटती रहें--जीवन को मरने दो ||
मिट रही हैं हसरतें मिटती रहें--जीवन को मरने दो
ReplyDelete* खट रही हैं बेटियां खटती रहे---बेटे को पढ़ने दो...
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दिल से निकलती हैं आपकी रचनायें। भावुक कर दिया...
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क्या आप यह देख पा रही हैं कि--
ReplyDeleteअपरोक्ष,
आपके जबरदस्त लेखों का असर
पड़ रहा है मुझपर----
आभार
ये आपका बड़प्पन है दिनेश जी ।
ReplyDelete( होंठो पर मुस्कान-- )
ReplyDeleteप्रभावित कर सारगर्भित पंक्तियाँ.....
ReplyDeleteइस ब्लॉग पर अब तक की सारी रचना पढ़ ली हैं ... सभी बहुत प्रभावित करने वाली हैं ...आभार
ReplyDeleteकृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .