Saturday, 4 June 2011

जय हो

              (१)
बाबा का अनशन 
तोडना था 
लिट्टी-चोखे  से
लेकिन, 
देश की करोड़ों जनता का मन 
और  अनशन 
सरकार ने तोडा 
धोखे  से
 
               (२)
सरकार को रहा था खल ||
कानूनी दांव-पेंच और
कपिल-सिब्बल || 
आंसू-गैस,  डंडे  और
पुलिस-बल ||
दोनों ने मिलकर 
रामलीला मैदान पर 
भक्तों को बुला दिया हल ||
बड़े-बुजुर्ग महिलायें और 
बच्चे 
गए कुचल ||
लगा दी आग, 
शिविर गए जल ||
पर,
जलेगी पापियों की लंका  |
देश गया जाग, 
बजेगा,  सदाचार का डंका  ||
फिलहाल,
जीत गई सरकार |
जय हो भ्रष्टाचार ||


3 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता है , बहुत सटीक भी ।

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  2. बाबा का अनशन तोडना था लिट्टी-चोखे  से 
    लेकिन, देश की करोड़ों जनता का मन और  अनशन सरकार ने तोडा धोखे  से
    sahi baat ..

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  3. बाबा का अनशन तोडना था लिट्टी-चोखे  से 
    लेकिन, देश की करोड़ों जनता का मन और  अनशन सरकार ने तोडा धोखे  से
    sahi baat hai ji....

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