Monday, 20 June 2011
"कीट निकम्मे" पर की टिप्पणी
शांत चित्त श्रीमान में, देखी पहली रीस |
कागद पर परगट हुई, रही सभी को टीस |
रही सभी को टीस, सड़े न अगला खम्भा
लोकतंत्र की चमक, चढ़ेगा शुद्ध मुलम्मा |
कह रविकर गुरुदेव, करें न इकदम चिंता ||
रहे देश आबाद, जगे जब प्यारी जनता ||
कांगू मच्छर और भांजू मक्खी : आरोप-प्रत्यारोप
2 comments:
virendra sharma
20 June 2011 at 05:47
उत्साह जनक ,जोश पैदा करती रचना .aasvasht karti rachnaaa .
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रविकर
22 June 2011 at 18:08
बहुत बहुत आभार |
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उत्साह जनक ,जोश पैदा करती रचना .aasvasht karti rachnaaa .
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार |
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