Saturday 15 October 2011

कान्ता कर करवा करे, सालो-भर करवाल ||

 (शुभकामनाएं)
कर करवल करवा सजा,  कर सोलह श्रृंगार |
माँ-गौरी आशीष दे,  सदा बढ़े शुभ प्यार ||
   करवल=काँसा मिली चाँदी
कृष्ण-कार्तिक चौथ की,  महिमा  अपरम्पार |
क्षमा सहित मन की कहूँ,  लागूँ  राज- कुमार ||
Karwa Chauth
(हास-परिहास)
कान्ता कर करवा करे, सालो-भर करवाल |
  सजी कन्त के वास्ते, बदली-बदली  चाल ||
  करवाल=तलवार  
करवा संग करवालिका,  बनी बालिका वीर |
शक्ति  पा  दुर्गा   बनी,  मनुवा  होय  अधीर ||
करवालिका = छोटी गदा / बेलन जैसी भी हो सकती है क्या ?

 शुक्ल भाद्रपद चौथ का, झूठा लगा कलंक |
सत्य मानकर के रहें,  बेगम सदा सशंक ||

  लिया मराठा राज जस, चौथ नहीं पूर्णांश  |
चौथी से ही चल रहा,  अब क्या लेना चांस ??


(महिमा )  
नारीवादी  हस्तियाँ,  होती  क्यूँ  नाराज |
गृह-प्रबंधन इक कला, ताके पुन: समाज ||

 मर्द कमाए लाख पण,  करे प्रबंधन-काज |
घर लागे नारी  बिना,  डूबा  हुआ  जहाज  ||

10 comments:

  1. साहित्य और संस्कृति का सुन्दर मिश्रण लिये पंक्तियाँ।

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  2. बेहतरीन!
    --
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  3. bahut sunder anokhi rachna.very nice.

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..कर्वालिका के भिन्न भिन्न अर्थ भी पता चले

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  5. करे कमाई लाख मर्द, बड़े प्रबंधन-काज |
    घर लागे नारी बिना, डूबा हुआ जहाज ||


    बहुत सुंदर व्याख्या.

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  6. सुंदर दोहों ने मन मोह लिया.

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  7. वाह! बड़े सुंदर दोहे। 'करवाल' का प्रयोग अनूठा व लाज़वाब है।

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  8. सुन्दर प्रस्तुति....
    सादर बधाईयां...

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  10. बहुत बढ़िया प्रस्तुति|

    करे कमाई लाख मर्द, बड़े प्रबंधन-काज |
    घर लागे नारी बिना, डूबा हुआ जहाज ||

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