क्षण भर चेहरे देख के, करें जरूरी काम |
बड़ा मुखौटा काम का, छूटे नशे तमाम |
छूटे नशे तमाम, नशे का बनता राजा |
छोड़ जरुरी काम, बुलाये आजा आजा |
कह रविकर रख होश, मुखौटा खोटे लागै |
रखकर सर पर पैर, सयाना सरपट भागै ||
बड़ा मुखौटा काम का, छूटे नशे तमाम |
छूटे नशे तमाम, नशे का बनता राजा |
छोड़ जरुरी काम, बुलाये आजा आजा |
कह रविकर रख होश, मुखौटा खोटे लागै |
रखकर सर पर पैर, सयाना सरपट भागै ||
बहुत सटीक चित्रण...सच में फेस बुक भी एक नशा है...
ReplyDeleteआपकी ६ पंक्तियों ने बड़ी ही सरलता से सारा विश्लेषण सामने रख दिया...वाह...
ReplyDeletehar kisi ka yah nasha ek na ek din jaroor utrega.praveen ji ke baare me bahut achche dohe likhe aap dono ko hi badhaai.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत उम्दा....
ReplyDeleteआपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-798:चर्चाकार-दिलबाग विर्क>