खूब बढ़िया....
बढ़िया.
जनपदीय आंचलिक शब्दों को अच्छा स्तेमाल करते हैं रविकर दा! अच्छा व्यंग्य ,परम व्यंग्य .
ये तो जैसे आंखन देखी हो गई ,अपनी अनुभूति सी .अच्छी प्रस्तुति .
sateek likha hai
शब्द चयन का जवाब नहीं.......वाह !!!!!!!!!!!
खूब बढ़िया....
ReplyDeleteबढ़िया.
ReplyDeleteजनपदीय आंचलिक शब्दों को अच्छा स्तेमाल करते हैं रविकर दा! अच्छा व्यंग्य ,परम व्यंग्य .
ReplyDeleteये तो जैसे आंखन देखी हो गई ,अपनी अनुभूति सी .अच्छी प्रस्तुति .
ReplyDeletesateek likha hai
ReplyDeleteशब्द चयन का जवाब नहीं.......वाह !!!!!!!!!!!
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