(1)
मरजीना असली मदर, रोम रोम में रोम |
दिल जीतेगी पेट से, दिल्ली से यह व्योम |
दिल्ली से यह व्योम, बरसते काले बादल |
सड़े खुले में अन्न, बटेगा सड़ा हुआ कल |
और मरे ना भूख, टैक्स पेयर है करजी |
मिल जाए बस वोट, यही मरजीना मरजी-
(२)
जाने मरजीना कहाँ, चली बांटने अन्न |
चालू चालीस चोर के, अच्छे दिन आसन्न |
अच्छे दिन आसन्न, रहा अब तक मन-रेगा |
कई फीसदी लाभ, यही भोजन बिल देगा |
चाहे डूबे देश, चले हम वोट कमाने |
भूखें सोवें लोग, लूटते चोर खजाने ||
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करारा
ReplyDeleteवोट सुरक्षा बिल है ... गरीब फिर भी भूखा ही सोएगा ।
ReplyDeleteचाहे डूबे देश, चले हम वोट कमाने |
ReplyDeleteभूखें सोवें लोग, लूटते चोर खजाने ||
अच्छे .............
वाह . बहुत उम्दा,
ReplyDeleteवाह क्या बात है !
ReplyDeleteवाह..;लाजवाब
ReplyDeleteबहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.
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