टेढ़ी-मेढ़ी डगरिया, पड़ते डग-मग पैर |
बीती यूँ ही उमरिया, रहे मनाते खैर |
रहे मनाते खैर, खैर वो बीत चुकी है |
गया हमेशा चूक, सफलता छिपी-लुकी है |
तौर-तरीके श्रेष्ठ, पकड़ ना पाया *मेढ़ी |
अब कैसा अफ़सोस, करे क्या उँगली-टेढ़ी ??
*तीन शिराओं वाली चोटी |
सुन्दर
ReplyDeleteटेढ़ी-मेढ़ी डगरिया, पड़ते डग-मग पैर |
ReplyDeleteबीती यूँ ही उमरिया, रहे मनाते खैर |
वाकई पता ही नहीं चला :)
वाह !
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