(1)
धरम नहीं आतंक का, किन्तु लाश की जात।
गाजा पर गर्जना कर, हों सेक्युलर विख्यात।
हों सेक्युलर विख्यात, जुल्म-कश्मीर नकारें।
जल्लूकट्टू बंद, किन्तु बकरीद सकारें |
रविकर ये गद्दार, बनाते रहते बौढ़म।
सत्तासुख की चाह, भोगते रहिये अधरम ||
(2)
चौकस रह, रह बाख़बर, जबर शत्रु की फौज।
खतरा हिंदुस्तान पर, मौज करे कन्नौज।
मौज करे कन्नौज, करेगा फिर गद्दारी।
लेकिन पृथ्वीराज, मरे ना अबकी बारी।
कत्लो-गारद जुल्म, याद आता है बरबस।
नहीं करे फिर माफ़, रहे रविकर अब चौकस।।
खतरा हिंदुस्तान पर, मौज करे कन्नौज।
मौज करे कन्नौज, करेगा फिर गद्दारी।
लेकिन पृथ्वीराज, मरे ना अबकी बारी।
कत्लो-गारद जुल्म, याद आता है बरबस।
नहीं करे फिर माफ़, रहे रविकर अब चौकस।।
(3)
जोड़ी आमिर-किरण सम, डरे करण शहरूख।
इस्लामिक इस्टेट की, ज्यों ज्यों बढ़ती भूख।
ज्यों ज्यों बढ़ती भूख, बचाओ हाफ़िज़ भाई।
बहन फिदाइन भेज, साथ ही चार कसाई।
मिले मदद भरपूर, नहीं तो थोड़ी थोड़ी।
यहीं बहत्तर हूर, यही पर मिले हिजोड़ी।।
इस्लामिक इस्टेट की, ज्यों ज्यों बढ़ती भूख।
ज्यों ज्यों बढ़ती भूख, बचाओ हाफ़िज़ भाई।
बहन फिदाइन भेज, साथ ही चार कसाई।
मिले मदद भरपूर, नहीं तो थोड़ी थोड़ी।
यहीं बहत्तर हूर, यही पर मिले हिजोड़ी।।
कुछ विश्वविद्यालय पर भी लिखिये ना:) सबसे सड़े सेब ।
ReplyDeleteकरार व्यंग ... तेज़ धार के मजे आ गए ...
ReplyDeleteदेश की दिशा बताते हैं ये सब कारनामे ...