अविनाश वाचस्पति
अरसा से बीमार तन, पर मन के मजबूत।
रहे पुरोधा व्यंग्य के, सरस्वती के पूत।
सरस्वती के पूत, पुरानी मुलाकात थी ।
तब भी थे बीमार, किन्तु दिल खोल बात की।
रविकर करे प्रणाम, पुष्प श्रद्धांजलि बरसा।
नहीं सके जग भूल, लगेगा लंबा अरसा।।
(2)
ब्लॉग जगत में आपसे, याद हमे मुठभेड़।
व्यंग्य वाण से आपने, दिया जरा सा छेड़।
दिया जरा सा छेड़, बात का बना बतंगड़।
धन्य मित्र संतोष, नहीं होने दी गड़बड़।
हे वाचस्पति मित्र, रहो तुम खुश जन्नत में।
याद करेंगे लोग, हमेशा ब्लॉग जगत में।।
(३)
हे पुण्यात्मा अलविदा, जिंदादिल इन्सान।
वाचस्पति अविनाश का, हुआ आज अवसान।
हुआ आज अवसान, दुखी दिल्ली कलकत्ता।
साहित्यकार उदास, ख़ुशी ऊपर अलबत्ता।
कुल साहित्यिक कृति, करेगा कौन खात्मा।
यहाँ सदा जीवंत, रहोगे हे पुण्यात्मा।।
(1)
आप की अविनाश जी से मुलाकात के चित्र घूम रहे हैं सामने से पर अफसोस हमें है कि हम नहीं मुलाकात कर पाये बस दूरभाष से बाते हुई थी । ब्लाग लेखन की प्रेरणा उनही से मिली थी ।श्रद्धांजलि ।
ReplyDeleteसादर श्रद्धांजलि
ReplyDeleteहे पुण्यात्मा अलविदा, जिंदादिल इन्सान।
ReplyDeleteवाचस्पति अविनाश का, हुआ आज अवसान।
हे वाचस्पति मित्र, रहो तुम खुश जन्नत में।
याद करेंगे लोग, हमेशा ब्लॉग जगत में।।
.विनम्र श्रद्धांजलि!