बापू की बातें सर माथे।
बहुत सुंदर सीख देती रचना।
जन-साधारण होते हैं असाधारण!
गांधीजी के सफाई प्रेम को दोहावली में रखा है आपने .हमारे यहाँ तो सच मुच मंदिरों का रख रखाव सवालिया है न.
बापू की बातें सर माथे।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सीख देती रचना।
ReplyDeleteजन-साधारण होते हैं असाधारण!
ReplyDeleteगांधीजी के सफाई प्रेम को दोहावली में रखा है आपने .हमारे यहाँ तो सच मुच मंदिरों का रख रखाव सवालिया है न.
ReplyDelete