क्या खाकर जीतेंगे।
फिर माफी चाहता हूँ। लेकिन पहले दोहे में चौदह मात्राएँ हैं और लय बिगड़ रहा है। गाने में गड़बड़।
अच्छा व्यंग्य कुंडलिया के माध्यम से। आभार।
"भाव को देख मात्रा न गिन ,ज़िन्दगी जी केलोरीज़ मत गिन ."बेहतरीन कटाक्ष राजनीति के गैंडे पर ,दुर्मुख पर .
क्या खाकर जीतेंगे।
ReplyDeleteफिर माफी चाहता हूँ। लेकिन पहले दोहे में चौदह मात्राएँ हैं और लय बिगड़ रहा है। गाने में गड़बड़।
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य कुंडलिया के माध्यम से। आभार।
ReplyDelete"भाव को देख मात्रा न गिन ,ज़िन्दगी जी केलोरीज़ मत गिन ."
ReplyDeleteबेहतरीन कटाक्ष राजनीति के गैंडे पर ,दुर्मुख पर .