बड़ा कबाड़ी है खुदा, कितना जमा कबाड़ |
जिसकी कृपा से यहाँ, कचडा ढेर पहाड़ |
जिसकी कृपा से यहाँ, कचडा ढेर पहाड़ |
कचडा ढेर पहाड़, नहीं निपटाना चाहे |
खाय खेत को बाड़, बाड़ को बड़ा सराहे |
करता सज्जन मुक्त, कबाड़ी बड़ा अनाड़ी |
दुर्जन पुनुरुत्पत्ति, करे हर बार कबाड़ी ||
majedar par jeevan darshan ko paribhashit karti post .
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