कठपुतली बन नाचते, मीरा मोहन-मोर |
दस जन, पथ पर डोलते, करके ढीली डोर ||
कौतुहल वश ताकता, बबलू मन हैरान |
*मुटरी में हैं क्या रखे, ये बौने इन्सान ??
*पोटली
बौने बौने *वटु बने, **पटु रानी अभिजात |
कौतुकता लख बाल की, भूप मंद मुस्कात ||
*बालक **चालाक
राजा रानी दूर के, राजपुताना आय |
चौखाने की शाल में, रानी मन लिपटाय ||
भूप उवाच-
कथ-री तू *कथरी सरिस, क्यूँ मानस में फ़ैल ?
चौखाने चौसठ लखत, मन शतरंजी मैल ||
*नागफनी / बिछौना
बबलू उवाच-
हमरा-हुलके बाल मन, कौतुक बेतुक जोड़ |
माया-मुटरी दे हमें, भाग दुशाला ओढ़ ||
भाई 10 कहकर
ReplyDeleteमजाक मत उड़ाओ
कुछ आदमी बढा़ओ ।
दस जनपथ का आदेश है भाई-
Deleteजय हो..
ReplyDeleteचित्र को सही जबान दिया| रवि भैय्या बधाई
ReplyDeleteकठपुतली बन नाचते, मीरा मोहन-मोर |
ReplyDeleteदस जन, पथ पर डोलते, करके ढीली डोर ||
मरेगी इनकी नानी ,भरें ये सबका पानी .
बढ़िया प्रस्तुति .
भूप उवाच-
ReplyDeleteकथ-री तू *कथरी सरिस, क्यूँ मानस में फ़ैल ?
चौखाने चौसठ लखत, मन शतरंजी मैल |
बहुत सुन्दर है भाई साहब .लाज़वाब शब्द संयोजन .
बहुत रोचक !
ReplyDeleteबड़ा ही अनमोल खजाना आप भर भर लाए
ReplyDeleteमन को मेरे दोहे और पहेली दोनों ही भाए।
उत्तम लेखन आपका ............आया काफी पसंद
ReplyDeleteइसलिये कर लिया रीडर के बक्से में बंद
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteदस जनपथ वाले नाचते कम नचाते ज्यादा है ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..