था बीमा बिन माल, सूद अब नोचे चमड़ी । दुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी ।। था बीमा बिन माल, सूद अब नोचे चमड़ी । दुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी ।।काका की कुण्डलियाँ याद दिलादी आपने वह भी बड़े खबरदार रहते थे अपने परिवेश के प्रति ...शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें - बुधवार, 9 मई 2012 शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर http://veerubhai1947.blogspot.in/ आरोग्य समाचार http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ? क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ? http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
था बीमा बिन माल, सूद अब नोचे चमड़ी ।
ReplyDeleteदुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी ।।
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दुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी ।।काका की कुण्डलियाँ याद दिलादी आपने वह भी बड़े खबरदार रहते थे अपने परिवेश के प्रति ...शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
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क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
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sundar majedaar kundaliyan.
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