Wednesday, 9 May 2012

दुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी-

File:London Fire Brigade Command Unit.JPG
दमड़ी दमड़ी जल रही, दे दमकल आवाज ।
दमकल कल से है लगा, मिली सफलता आज ।
 
मिली सफलता आज, बुझा दी गल्ला-मंडी  ।
जीती दमकल टीम, अग्नि हो जाती ठंडी । 

था बीमा बिन माल, सूद अब नोचे चमड़ी ।
दुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी ।।

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2 comments:

  1. था बीमा बिन माल, सूद अब नोचे चमड़ी ।
    दुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी ।।
    था बीमा बिन माल, सूद अब नोचे चमड़ी ।
    दुकनदार बदहाल, बची चमड़ी न दमड़ी ।।काका की कुण्डलियाँ याद दिलादी आपने वह भी बड़े खबरदार रहते थे अपने परिवेश के प्रति ...शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -
    बुधवार, 9 मई 2012
    शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    आरोग्य समाचार
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल
    क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
    क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

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  2. sundar majedaar kundaliyan.

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