अम्बिया की चटनी बने, प्याज पुदीना डाल ।
चटकारे ले खा रहा, जो गर्मी की ढाल ।।
आम सफेदा भा गए, किन्तु दशहरी ख़ास ।
सबसे बढ़िया स्वाद है, मलिहाबाद सुवास ।।
बम्बैया में राज है, लंगडा है नाराज ।
चौसा चूसे चिलबिला, फ़जली फ़िदा समाज ।।
किशनभोग है पूर्व का, हिमसागर की धाक ।
अलफांसो है फांसता, केसर गुर्जर नाक ।।
रूमानी सह रसपुरी, बादामी ज़रदालु ।
बंगनपल्ली मुल्गवा, खूब बजावे गाल ।।
चुसुवा के आगे लगें, रविकर सारे फीक ।
अपना तो देशी भला, पाचक लागे नीक ।।
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रूमानी सह रसपुरी, बादामी ज़रदालु ।
ReplyDeleteबंगनपल्ली मुल्गवा, खूब बजावे गाल ।।
चुसुवा के आगे लगें, रविकर सारे फीक ।
अपना तो देशी भला, पाचक लागे नीक ।।
यू पी वाले चुसवा को टपका कहतें हैं (पिलपिला पका आम जो डाल से टपक जाता है खुद बा खुद इसीलिए टपका कहाता है .बढ़िया जानकारी परक प्रस्तुति आम की किस्मों से वाकिफ करवाती .उत्तरसे दक्षिन तक की किस्मों की ,. वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन -४८ १८८ ,यू एस ए .
सारे आम तो चखा दिये आपने..
ReplyDeleteआजकल आम तो आम आदमी की पहुँच से दूर हो गया हैं याद दिलाने के लिए आभार
ReplyDeleteआजकल आम तो आम आदमी की पहुँच से दूर हो गया हैं याद दिलाने के लिए आभार
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