साइबर कैफे से -
रूप चन्द्र सा है सरस, शीतल मंद समीर ।
ज्ञान ध्यान विज्ञान मिथ, धीर वीर गंभीर ।
धीर वीर गंभीर, सकल शास्त्रों के ज्ञाता ।
बसे शारदा तीर, खटीमा जग विख्याता ।
गुरु नानक का धाम, बसे रविकर के गुरुवर ।
बारम्बार प्रणाम, मिला दर्शन का अवसर ।।
बाकी धनबाद पहुंचकर -
मेरा भी प्रणाम ,प्रभु के चरणों में ......
ReplyDeleteआभार आपका !
मेरा भी नमन..
ReplyDeleteकोटी कोटी प्रणाम!
ReplyDeleteस्वागत है । जल्दी पहुँचो।
ReplyDeletewaah aapke sath maine bhi darshan kar liya ...
ReplyDeleteगुरु नानक का धाम, बसे रविकर के गुरुवर ।
ReplyDeleteबारम्बार प्रणाम, मिला दर्शन का अवसर ।।
शिष्यत्व का सुख बोध कोई बिरला ही उठा पाता है .
साइबर कैफे से -
ReplyDeleteरूप चन्द्र सा है सरस, शीतल मंद समीर ।
ज्ञान ध्यान विज्ञान मिथ, धीर वीर गंभीर ।
भाई रविकर जी फैजाबादी लेखन के प्रति आपके समर्पण और प्रति -बढता को सलाम .
भाई रविकर जी फैजाबादी लेखन के प्रति आपके समर्पण और प्रति -बढता को सलाम .
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात |
गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात |
ram ram bhai
बुधवार, 13 जून 2012
हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं
हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं
पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात ,गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात --|-भाई रविकर जी फैजाबादी
http://veerubhai1947.blogspot.in/