छोटी एक दूकान से, नहीं चलेगा काम ।
चलिए बिग-बाजार सब, होवे काम तमाम ।।
ईंटा गारा से करें, खड़ी एक दीवार ।
सरकारी यह योजना, छत की क्या दरकार ??
भैंस भली नाखुश चली, वापस घर की ओर ।
सर-सरिता सब सूखते, मरते जाते ढोर ।।
पहला बालक
चलिए बिग-बाजार सब, होवे काम तमाम ।।
ईंटा गारा से करें, खड़ी एक दीवार ।
सरकारी यह योजना, छत की क्या दरकार ??
भैंस भली नाखुश चली, वापस घर की ओर ।
सर-सरिता सब सूखते, मरते जाते ढोर ।।
पहला बालक
ट्रेन ट्रैक्टर ट्राम बस, हॉफ टिकट का दाम ।
जल थल में इक सा सफ़र, नहीं टिकट का काम ।।
दूसरा बालक
माया के हाथी फ्री, ट्रेंड बड़े हुशियार ।
खा पीकर हैं वे पड़े, छोड़ भैंस का प्यार ।।
जय हो, ठेठ देशी..
ReplyDeletebeautiful poem
ReplyDeletelike the choice of photo excellent