Sunday 4 August 2013

यू पी राजस्थान, आज फिर किसकी बारी-

खामखाँ लिख चिट्ठियाँ, करते इंक खराब |
लहरायें जब मुट्ठियाँ, देना तभी जवाब |

देना तभी जवाब, नहीं दुर्गा बेचारी |
यू पी राजस्थान, आज फिर किसकी बारी |

कल खेमका अशोक, स्वाद ऐसा ही चक्खा |
रहे आप चुपचाप, लिखो मत आज खामखाँ |

कहीं गिरे दीवाल, कहीं सस्पेंशन लाये-

माटी का सौदा करें, लाठी का उस्ताद |
गोरख-धंधे रात-दिन, हुआ जिन्न आजाद |

हुआ जिन्न आजाद, कहीं यह रेप कराये  |
कहीं गिरे दीवाल, कहीं सस्पेंशन लाये |

हो जाते हैं क़त्ल, माफिया खाटी भाटी |
सत्ता करे खराब, मुलायम उर्वर माटी |
Durga Shakti Nagpal, a young woman IAS officer of 2010 batch has been shifted from Punjab care to Uttar Pradesh cadre on the ground of marriage to  Shri Abhishek Singh, IAS officer of 2011 batch of Uttar Pradesh Cadre.

दुर्गा पर भारी पड़े, शुतुरमुर्ग के अंड |
भस्मासुर को दे सकी, आज नहीं वह दंड |

आज नहीं वह दंड, नोयडा खाण्डव-वन है  |
कौरव का उत्पात, हारते पाण्डव जन हैं |

फिर अंधे धृतराष्ट्र, दुशासन बेढब गुर्गा |
बदल पक्ष अखिलेश, हटाते आई एस दुर्गा-

9 comments:

  1. बहुत ही विचारोतेज्ज़क कुण्डलियाँ .. .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (05.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [05.08.2013]
    गुज़ारिश दोस्तों की : चर्चामंच 1328 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
    सादर
    सरिता भाटिया

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सटीक और सशक्त.

    रामराम.

    ReplyDelete
  4. रविकर भाई बेहतरीन लिखा है, आपको ढेरो बधाई

    ReplyDelete
  5. रविकर जी लिखते रहना हमारा काम है । इससे कहां कुछ गलत हो रहा है इसकी और ध्यान आकृष्ट तो होता ही है और आप यह कार्य बखूबी कर रहे हैं आपका आभार और अभिनन्दन ।

    ReplyDelete
  6. आज नहीं वह दंड, नोयडा खाण्डव-वन है |
    कौरव का उत्पात, हारते पाण्डव जन हैं |

    सत्संग का मतलब ही है सत -संग। सत अर्थात सत्य अर्थात ईश्वर। बेहद का सुख मिएगा फिर संसार में रहने पर अभी तो हम संसार को ही अपने अन्दर ले लेते हैं।
    कलियुग का मूर्तन है यह रचना। पूरी बंदिश बे -मिसाल लाज़वाब और मार्मिक है व्यंग्य विड्म्बन भी शीर्ष पर है। ॐ शान्ति।

    ReplyDelete
  7. सामयिक रचना

    ReplyDelete
  8. बहुत ही सटीक और सशक्त

    ReplyDelete