खाया छप्पन जान खुद, मेहमान शैतान ।
सत्ता हिन्दुस्तान की, लगती पाक समान ।
लगती पाक समान, जनक इक इसे जन्मता ।
पालनकर्ता जनक, दिखाता बड़ी नम्रता ।
वह कसाब अब कृष्ण, बाप दो-दो जो पाया ।
छप्पन भोग लगाय, अभी भी नहीं अघाया ।।
लगती पाक समान, जनक इक इसे जन्मता ।
पालनकर्ता जनक, दिखाता बड़ी नम्रता ।
वह कसाब अब कृष्ण, बाप दो-दो जो पाया ।
छप्पन भोग लगाय, अभी भी नहीं अघाया ।।
पालनकर्ता जनक, दिखाता बड़ी नम्रता ।
ReplyDeleteवह कसाब अब कृष्ण, बाप दो-दो जो पाया ।
छप्पन भोग लगाय, अभी भी नहीं अघाया
बहुत सुन्दर ..मथुरा से मिसाइल दागी और पाक साफ़ ध्वस्त गजब ..सुन्दर व्यंग्य ....हमारी पृथ्वी अग्नि ऐसे ही सफल हों रवि जो साथ हैं ..जय श्री राधे ---.भ्रमर ५
न अभी अघायेगा वह..
ReplyDelete