खबर खभरना बन्द कर, ना कर खरभर मित्र ।
खरी खरी ख़बरें खुलें, मत कर चित्र-विचित्र ।
मत कर चित्र-विचित्र, समझ ले जिम्मेदारी ।
खम्भें दरकें तीन, बोझ चौथे पर भारी ।
सकारात्मक असर, पड़े दुनिया पर वरना ।
तुझपर सारा दोष, करे जो खबर खभरना ।।
खबर खभरना = मिलावटी खबर
कोमल भाव,समीचीन सुन्दर कत्थ्य बधाईयाँ जी /
ReplyDeleteखब,र खबर रहे खभरना न बने । चौथे खंबे के हर सदस्य की जिम्मेवारी है यह ।
ReplyDeleteबोझ बड़ा भारी आया रे।
ReplyDeleteबढ़िया रचना!
ReplyDeleteपृथ्वी दिवस की शुभकामनाएँ!
kin shabdo me tarif karoon....shabd jo kam pad gaye
ReplyDeleteअतिसुन्दर और चुटीली !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteअनुप्रास की छटा देखते बनती है।
ReplyDeleteमत कर चित्र-विचित्र, समझ ले जिम्मेदारी ।
ReplyDeleteखम्भें दरकें तीन, बोझ चौथे पर भारी ।भाई साहब सभी आंचलिक शदों के अर्थ दिया कीजे ,पोस्ट और उपयोगी होगी .मसलन 'खरभर 'और 'खबरना '
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शुक्रिया आपकी द्रुत और उत्साहवर्धक टिप्पणियों का .
वाह क्या बात है बहुत बढिया
ReplyDeleteरवि जी
ReplyDeleteइशारे से दायित्व निर्वहन समझाने के लिए इन दोहों की जितनी प्रशंसा की जाये उतनी कम.
घुमते इस काल चक्र से