दुर्गा पर भारी पड़े, शुतुरमुर्ग के अंड |
भस्मासुर को दे सकी, आज नहीं वह दंड |
भस्मासुर को दे सकी, आज नहीं वह दंड |
आज नहीं वह दंड, नोयडा खाण्डव-वन है |
कौरव का उत्पात, हारते पाण्डव जन हैं |
फिर अंधे धृतराष्ट्र, दुशासन बेढब गुर्गा |
बदल पक्ष अखिलेश, हटाते आई एस दुर्गा-
बहुत सटीक कहा आपने.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है ईमानदार को ही ईमानदारी का दंड चुकाना पड़ रहा है !!
ReplyDeleteसटीक !
ReplyDeleteबहुत सटीक..
ReplyDeleteवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
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