स्वार्थ, शिथिलता, भय परे, हो साहस भरपूर |
अनुगामी को करे नहिं, नायक खुद से दूर |
नायक खुद से दूर, किन्तु पहचाने बागी |
निष्पादित रणनीति, करे बन्दा-वैरागी |
नहीं व्यर्थ रक्त-पात, हिरन का मरना खलता |
दे दुश्मन को मात, बिना मद स्वार्थ-शिथिलता
बहुत गहरी बात
ReplyDeleteगहन और गम्भीर, वाह !!!!
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