पावरटी घट ही गई , बीस फीसदी शुद्ध |
मँहगाई पर ना घटी, पावरोटियाँ क्रुद्ध | पावरोटियाँ क्रुद्ध, पाँवड़ा पलक बिछाओ | नव अमीर बढ़ जाँय, गीत स्वागत के गाओ | डर्टी पिक्चर देख, लगा सत्ता कापर-टी | रोके पैदावार, घटा देती पावरटी || |
सकते में है जिंदगी, दो सौ रहे कमाय |
कुल छह जन घर में बसे, लाल कार्ड छिन जाय | लाल कार्ड छिन जाय, खाय के मिड डे भोजन - गुजर बसर कर रहे, कमे पर कल ही दो जन | अब केवल हम चार, दाल रोटी नित छकते | तब हम भला गरीब, बोल कैसे हो सकते || |
सुन्दर और सटीक !!
ReplyDeleteसुंदर।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...!
ReplyDelete--
भाई रविकर जी आप समय निकाल कर दोषपूर्ण कुण्डलियों की समीक्षा कर दीजिए, ताकि दूसरा छन्द सृजन मंच ऑनलाइन पर प्रारम्भ किया जा सके।
आभारी रहूँगा आप दोनों का।