पाका घौता आम का, झारखंड बागान |अपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान |हा-हा- शोरेन बाबू की जय !
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।
मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!--पूर्व के कमेंट में सुधार!आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।सूचनार्थ...!--
आदरणीय रविकर जीआपकी प्रस्तुती हमेशा उम्दा रहती है।
बेहतरीन प्रस्तुति ,अति सुन्दर
बेहतरीन प्रस्तुति
बंटवारे की बेर, नक्सली करें धमाका |हो जाए अंधेर, आम पाका तो पाकाbahut khoob...
पाका घौता आम का, झारखंड बागान |
ReplyDeleteअपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान |
हा-हा- शोरेन बाबू की जय !
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।
ReplyDeleteमैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
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पूर्व के कमेंट में सुधार!
आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
सूचनार्थ...!
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आदरणीय रविकर जी
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुती हमेशा उम्दा रहती है।
बेहतरीन प्रस्तुति ,अति सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteबंटवारे की बेर, नक्सली करें धमाका |
ReplyDeleteहो जाए अंधेर, आम पाका तो पाका
bahut khoob...