Friday, 5 July 2013

पाका घौता आम का, झारखंड बागान -

पाका घौता आम का, झारखंड बागान |
अपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान |

रंजिश राग भुलान, भला हेमंत भीग ले  |
दिल्ली तलक अजान, साथ में कई लीग ले |

बंटवारे की बेर, नक्सली करें धमाका |
हो जाए अंधेर, आम पाका तो पाका ||

 

7 comments:

  1. पाका घौता आम का, झारखंड बागान |
    अपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान |
    हा-हा- शोरेन बाबू की जय !

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  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

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  3. मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
    --
    पूर्व के कमेंट में सुधार!
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
    सूचनार्थ...!
    --

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  4. आदरणीय रविकर जी
    आपकी प्रस्तुती हमेशा उम्दा रहती है।

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  5. बेहतरीन प्रस्तुति ,अति सुन्दर

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  6. बेहतरीन प्रस्तुति

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  7. बंटवारे की बेर, नक्सली करें धमाका |
    हो जाए अंधेर, आम पाका तो पाका



    bahut khoob...

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