Wednesday, 24 July 2013

अब्बा ओ बामा सुनो, डब्बा होता गोल-




 अब्बा ओ बामा सुनो, डब्बा होता गोल |
रोजी रोटी पर बनी, खुलती रविकर पोल |

खुलती रविकर पोल, पोल चौदह में होना |
समझो अपना रोल, धूर्त मोदी का रोना |

चूँ चूँ का अफ़सोस, भेज ना सका मुरब्बा  |
रहा आज ख़त भेज, रोक मोदी को अब्बा ||

 ओ बामा ओ व्याहता, जाती हो क्यूँ रूठ |
पाँच साल के बाद ही, बनती कुर्सी ठूठ |

बनती कुर्सी ठूठ,  झूठ हो सत्ता रानी |
देकर हमें तलाक, करो मोदी अडवानी |

हम कांग्रेसी साथ, खोल करके पाजामा  |
आये लगा गुहार,  रोक मोदी ओबामा ||


तालीमी हालात हों, या हो मिड डे मील 
रहे सुशासन मौन अब, मनमोहन से डील 

मनमोहन से डील, पैर में चोट लगाईं 
स्वयं कुल्हाड़ी मार, मौन हो जाता भाई 

लगा गया आरोप, विपक्षी को दे गाली 
खुद की गलती तोप, बजाये सी एम् ताली


सकते में हैं आमजन, सुनकर नई दलील 
दंगे से नंगे हुवे, आई एम् बके शकील 

आई एम् बके शकील,  कील आखिरी लगाईं 
गया गो-धरा भूल,  भूल जाता अधमाई

 दंगों का इतिहास, कहीं पूरा जो बकते 
 लगा विकट आरॊप,  भला फिर कैसे सकते


छोरा छलता छागिका, छद्म-रूप छलछंद |
नाबालिग *नाभील रति, जुवेनियल पाबन्द |

जुवेनियल पाबन्द, महीने चन्द बिता के |
दुर्मर-दामिनि देह, दुधमुहाँ-दानव ताके-

दीदी दादी बोल, भूज छाती पर होरा |
पा कानूनी झोल, छलेगा पुन: छिछोरा ||
*स्त्रियों के कमर के नीचे का भाग

5 comments:

  1. बहुत ही सटीक और सार्थक कुंडलियां, जवाब नही आपका इस विधा में, बहुत ही मारक.

    रामराम.

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  2. सुन्दर कुंडलियाँ !!

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  3. बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ प्रस्तुति !
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  4. सुन्दर ,सटीक और सार्थक . बधाई
    सादर मदन .कभी यहाँ पर भी पधारें .
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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