Friday, 25 October 2013

*कसंग्रेस भी आज, करें दंगों का धंधा

अन्धा बन्दर बोलता, आंके बन्दर मूक |
गूंगा बन्दर पकड़ ले, हर भाषण की चूक |

हर भाषण की चूक, हूक गांधी के दिल में  |
मार राख पर फूंक, लगाते लौ मंजिल में  |

*कसंग्रेस भी आज, करें दंगों का धंधा |
मत दे मत-तलवार, बनेगा बन्दर अन्धा ||

* जैसा राहुल के इंदौर के कार्यक्रम के पोडियम पर लिखा था-

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (26-10-2013)
    "ख़ुद अपना आकाश रचो तुम" : चर्चामंच : चर्चा अंक -1410 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अरे वाह कंस और "ग्रेस ",ग्रेस तो कृष्ण के पास होती है कंस तो देश भक्षी सर्व -भक्षी (ओम्निवोरस )प्रवृत्ति का नाम है .

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय

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