अन्धा बन्दर बोलता, आंके बन्दर मूक |
गूंगा बन्दर पकड़ ले, हर भाषण की चूक |
हर भाषण की चूक, हूक गांधी के दिल में |
मार राख पर फूंक, लगाते लौ मंजिल में |
*कसंग्रेस भी आज, करें दंगों का धंधा |
मत दे मत-तलवार, बनेगा बन्दर अन्धा ||
* जैसा राहुल के इंदौर के कार्यक्रम के पोडियम पर लिखा था-
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (26-10-2013)
"ख़ुद अपना आकाश रचो तुम" : चर्चामंच : चर्चा अंक -1410 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अरे वाह कंस और "ग्रेस ",ग्रेस तो कृष्ण के पास होती है कंस तो देश भक्षी सर्व -भक्षी (ओम्निवोरस )प्रवृत्ति का नाम है .
ReplyDelete:)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
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