शान्त *चित्ति के फैसले, करें लोक कल्यान |
चिदानन्द संदोह से, होय आत्म-उत्थान |
होय आत्म-उत्थान, स्वर्ग धरती पर उतरे |
लेकिन चित्त अशान्त, सदा ही काया कुतरे |
चित्ति करे जो शांत, फैसले नहीं *कित्ति के |
करते नहीं अनर्थ, फैसले शान्त चित्ति के ||
चित्ति = बुद्धि
कित्ति = कीर्ति / यश
होय आत्म-उत्थान, स्वर्ग धरती पर उतरे |
ReplyDeleteलेकिन चित्त अशान्त, सदा ही काया कुतरे |
........ परम सत्य ..आदरणीय रविकर सर!
सुन्दर शब्द समायोजन काव्यात्मक अंदाज़ में कुंडली का .
ReplyDeleteचित्ति करे जो शांत, फैसले नहीं *कित्ति के |
करते नहीं अनर्थ, फैसले शान्त चित्ति के ||
करते नही अनर्थ फैसले सांत चित्ति के। सही कहा, शांति में ही सुख है.
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteवाह!
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