Sunday, 27 October 2013

आभारी पटना शहर, हे गांधी मैदान -

आभारी पटना शहर, हे गांधी मैदान |
बम विस्फोटों से गई, महज पाँच ठो जान |

महज पाँच ठो जान, अगर भगदड़ मच जाती |
होता लहूलुहान , पीर ना हृदय समाती |

होवे अनुसंधान, पकड़िये अत्याचारी |
बना रहे यह तंत्र, लोक हरदम आभारी || 

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (28-10-2013)
    संतान के लिए गुज़ारिश : चर्चामंच 1412 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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