आलू-बंडे से अलग, मुर्गी अंडे देख |
बा-शिन्दे अभिमत यही, भेजें यह अभिलेख |
भेजें यह अभिलेख, नहीं भेजे में आये |
गिरा आम पर गाज, बड़ा अमलेट बनाए |
भेदभाव कुविचार, किचन कैबिनट में चालू |
अंडे हुवे विशेष, हमेशा काटे आलू ||
बंडे-आलू काट झट, गृह मंत्री की डांट |
बा-शिन्दे अभिमत यही, अंडे लेना छाँट |
अंडे लेना छाँट, अगर दागी है फेंको |
हों मुर्गी के ठाठ, रास्ता मत ही छेंको |
अब सत्ता की *पोच, बना देंगे ये अंडे |
नमो नमो का मन्त्र, जपें क्यूंकि बरबंडे -
*आमलेट की तरह का एक अंडा डिश
बहुत खूब!
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सामयिक रचना
ReplyDeleteनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान