ये सब के सब चालू है , बैगन कभी तो आलू हैं ये सब बे पेंदी के लोटे, ये आज मदारी कल भालू हैं
बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
भगदड़ करानी थी नहीं हो पायी खिसिया रहे हैं !
ये सब के सब चालू है , बैगन कभी तो आलू हैं
ReplyDeleteये सब बे पेंदी के लोटे, ये आज मदारी कल भालू हैं
बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteभगदड़ करानी थी नहीं हो पायी खिसिया रहे हैं !
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