Wednesday, 2 October 2013

जाय भाड़ में तंत्र, चना इक फोड़े रविकर-

दागी भर भर गोलियां, बाँटी खुब खैरात |
टाँय टाँय फिस हो गई, 'मन-माने' औकात |

'मन-माने' औकात, झूठ सब रिश्ते-नाते |
तुम ही सच्चे 'तात', माफ़ कर दे हे 'माते' |

जाय भाड़ में तंत्र, चना इक फोड़े रविकर |
किन्तु सुफल मिल जाय, जेल में दागी भर भर ||

देता कुटिल सलाह, मानती किचन कैबिनट -

NEW

प्रणव नाद से मुखर जी, रोके अनुचित चाह |
वाह वाह युवराज की, देता कुटिल सलाह |

देता कुटिल सलाह, मानती किचन कैबिनट |
हो जाते सब चित्त, करा दे बबलू नटखट |

झेल रही सरकार, रोज ही विकट हादसे |
रविकर करता ध्यान, हमेशा प्रणव नाद से ||

OLD
दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |

धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |

सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||

4 comments:

  1. बहुत खूब रविकर जी! दागते रहिये गोली ,निशाना मजबूत है l
    नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  2. आपके कमेंट श्रेष्ठ और मुखर हैं।
    आभार इनको साझा करन के लिए।

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  3. दोहों के सरताज हैं आप :)

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