दागी भर भर गोलियां, बाँटी खुब खैरात |
टाँय टाँय फिस हो गई, 'मन-माने' औकात |
'मन-माने' औकात, झूठ सब रिश्ते-नाते |
तुम ही सच्चे 'तात', माफ़ कर दे हे 'माते' |
जाय भाड़ में तंत्र, चना इक फोड़े रविकर |
किन्तु सुफल मिल जाय, जेल में दागी भर भर ||
देता कुटिल सलाह, मानती किचन कैबिनट -
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प्रणव नाद से मुखर जी, रोके अनुचित चाह |
प्रणव नाद से मुखर जी, रोके अनुचित चाह |
वाह वाह युवराज की, देता कुटिल सलाह |
देता कुटिल सलाह, मानती किचन कैबिनट |
हो जाते सब चित्त, करा दे बबलू नटखट |
झेल रही सरकार, रोज ही विकट हादसे |
रविकर करता ध्यान, हमेशा प्रणव नाद से ||
OLD
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दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |
धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |
सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||
बहुत खूब रविकर जी! दागते रहिये गोली ,निशाना मजबूत है l
ReplyDeleteनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
आपके कमेंट श्रेष्ठ और मुखर हैं।
ReplyDeleteआभार इनको साझा करन के लिए।
दोहों के सरताज हैं आप :)
ReplyDeleteगजब दोहे हैं...
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